इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) के वैज्ञानिक जो शनिवार तड़के लैंडर विक्रम से संपर्क टूटने के बाद से ही मायूस हैं, उनके लिए नासा के वैज्ञानिक की तरफ से मनोबल बढ़ाने वाला बयान आया है। नासा के अंतरिक्ष विज्ञानी जैरी लिनेनगेर ने कहा है कि चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग भारत का एक साहसिक प्रयास है। इससे काफी कुछ सीखने में मदद मिलेगी और साथ ही ही इस मिशन के बाद भारत को आगे वाले अंतरिक्ष मिशनों के लिए मददगार साबित होगा।जैरी के शब्द देंगे प्रेरणा
सात सितंबर को विक्रम को चांद के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी लेकिन इसरो ने जैसा सोचा था, वैसा कुछ नहीं हो पाया। लैंडर का ग्राउंड स्टेशन से कम्युनिकेशन टूट गया। इस बात की जानकारी मिलते ही इसरो स्टाफ सदमे की सी स्थिति में चला गया। इन सबके बीच लिननेगेर के शब्द वाकई जोश भरने जैसे हैं। लिनेनगेर ने कहा है, ‘हमें उम्मीदें नहीं खोनी चाहिए। भारत ने एक बहुत, बहुत ही मुश्किल लक्ष्य को हासिल करने की कोशिशें की। सच्चाई यही है कि हर चीज उसी हिसाब से हुई जैसा सोचा गया था क्योंकि लैंडर नीचे आया।’
आने वाले मिशन में मिलेगी मदद
लिनेनगेर ने कहा है कि हालांकि यह दुर्भाग्यूपूर्ण था कि लैंडर होवर प्वाइंट पर था जो कि चांद की सतह से करीब 400 मीटर की ऊंचाई पर था। जैरी की मानें तो अगर लैंडर इस प्वाइंट तक आया और अगर इसके आगे नहीं भी जा सका तो भी इसमें अफसोस करने जैसी कोई बात नहीं है। जैरी की मानें तो रडार अल्टीमीटर्स और लेसर्स को टेस्ट किया जा सकता था। लेकिन अगर ऐसा नहीं हो सका तो भी यह कोशिश सफल है क्योंकि आगे आने वाले मिशन में इससे काफी मदद मिल सकेगी।
आर्बिटर पूरी तरह से ठीक
लिनेनगेर रूस के स्पेस स्टेशन मिर के साथ अंतरिक्ष में गए थे। इस स्टेशन ने लो अर्थ ऑर्बिट में सन् 1986 से 2001 तक प्रोजेक्ट्स किए। मिर करीब पांच माह तक स्पेस स्टेशन में थे। उन्होंने नेट जियो चैनल के साथ चंद्रयान-2 के लाइव टेलीकास्ट को देखा था। उन्होंने कहा कि भारत का मिशन ‘बहुत सफल’ मिशन रहा है। लिनेनगेर के मुताबिक अगले वर्ष तक ऑर्बिटर ही जरूरी जानकारी को भेजता रहेगा। जैरी की मानें तो जो संकेत मिले हैं उससे लगता है कि ऑर्बिटर के सारे सिस्टम पूरी तरह से ठीक हैं।
इसरो को दी बधाई
लिनेनगेर ने इसरो को चांद पर ‘कठिन’ लैंडिंग की कोशिश के लिए बधाई दी है। उन्होंने कहा है कि वह इसकी पूरी सफलता की ओर से देख रहे हैं और साथ ही इस प्रयास से जो सबक मिले हैं उन पर भी जैरी की नजरें हैं। चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था और इसे जीएसएलवी मैक III रॉकेट से लॉन्च किया गया था।