देश के साथ-साथ प्रदेश में भी एक अक्टूबर 2019 क्यूआर कोड युक्त ड्राइविंग लाइसेंस बनाना था, लेकिन क्यूआर कोड वाले लाइसेंस के लिए प्रदेश वासियों को अभी इंतजार करना पड़ेगा, क्योंकि प्रदेश में काम कर रही ठेका कंपनी और शासन के बीच अनुबंध नहीं हो पाया है। इसकी वजह है कि क्यूआर कोड युक्त लाइसेंस दोनों तरफ प्रिंट होगा। इस कारण ठेका कंपनी द्वारा अधिक पैसे की डिमांड की गई है। परिवहन विभाग ने कंपनी के डिमांड को शासन के पास भेजा है लेकिन शासन से अभी तक हरी झंडी नहीं मिली है। शासन से स्वीकृति मिलने के बाद ही प्रदेश में क्यूआर कोड युक्त लाइसेंस बनने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। परिवहन विभाग के अधिकारी का कहना है कि शासन को भेजा गया है।
छत्तीसगढ़ में इस वक्त 60 लाख ड्राइविंग लाइसेंस और 55 लाख आरसी बुक हैं। वर्मतान के लाइसेंस में चिप लगा हुआ है। चिप से परिवहन विभाग को बहुत सी जानकारियां मिल जाता हैं। लेकिन देशभर के लाइसेंस को अब क्यूआर कोड युक्त करना है। क्यूआर कोड से लाइसेंस और गाड़ी के दस्तावेज को लैस हो जाएगा।
एक अक्टूबर से प्रदेशभर में लागू होना था लेकिन कंपनी और शासन के बीच अभी तक अनुबंध नहीं हो पाया है। प्रदेश में लाइसेंस छापने का काम कर रही कंपनी का 2022 तक का अनुबंध है। लेकिन क्यूआर कोड होने से लाइसेंस को अब दोनों तरफ प्रिंट करना पड़ेगा, जिससे खर्च अधिक आएगा। ठेका कंपनी द्वारा परिवहन विभाग से अधिक पैसे की मांग की है।
लाइसेंस में मिलेंगी 50 से अधिक जानकारियां
क्यूआर कोड युक्त लाइसेंस में वाहन मालिक के नाम के साथ माता-पिता का नाम, पता, जन्म तिथि, शैक्षणिक योग्यता, पहचान चिन्ह, मोबाइल नंबर, वाहन का प्रकार, जारी करने की तिथि, इसकी वैधता के साथ ही निर्माणकर्ता अधिकारी का नाम, अंगदान के विकल्प सहित 50 से अधिक जानकारियां शामिल की गई हैं। प्लास्टिक का यह कार्ड आधुनिक एनएफसी सिस्टम से लैस होगा।
घर के पते पर भेजा जाएगा लाइसेंस
परिवहन विभाग के अधिकारी ने बताया कि क्यूआर कोड युक्त लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया शुरू होने पर किसी को परिवहन दफ्तर के चक्कर नहीं काटने पडेंगे। विभाग लाइसेंस धारियों द्वारा दिए गए पते पर लाइसेंस भेजेगा। उन्होंने बताया कि यदि किसी के घर का पता बदल गया है या फिर वह दूसरी जगह पर रहने लगा है तो उसे परिवहन कार्यालय पहुंचकर नया एड्रेस अपलोड करना पड़ेगा।
– क्यूआर कोड युक्त लाइसेंस बनाने की परमिशन के लिए शासन के पास भेजा गया है। शासन से स्वीकृति मिलने के बाद काम शुरू किया जाएगा। – डी. रविशंकर, संयुक्त परिवहन आयुक्त, छत्तीसगढ़