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छत्तीसगढ़ : किसानों को बड़ी राहत, अब नहीं देना होगा सोसाइटी को रिकार्ड ,पुराने रिकॉर्ड से होगी धान की खरीदारी




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छत्तीसगढ़ में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए जिन किसानों के पिछले साल पंजीयन कराया था, उन्हें अब नए सिरे से अपनी कृषि भूमि के दस्तावेज सोसाइटी को नहीं देने होंगे। न ही उन्हें रिकार्ड हासिल करने के लिए पटवारी के चक्कर लगाने होंगे। पिछले महीने जब ऐसी व्यवस्था की गई थी, तब हरिभूमि ने इस मामले को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसके बाद राज्य के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने इस आदेश में बदलाव कर साफ किया है कि जो किसान पिछले साल पंजीकृत थे, उनका पुराना डाटा ही कैरी फार्रर्वड किया जाएगा। सरकार के इस फैसले से प्रदेश के लाखों किसानों को राहत मिली है।

हरिभूमि ने 17 सितंबर को इस संबंध में खबर दी थी कि पंजीकृत किसानों द्वारा बोए गए कुल रकबा का खसरा नंबर दर्ज किया जाए। इसके साथ ही पटवारी द्वारा सत्यापित सूची के अनुसार रकबे का संशोधन कर मिलान करने के बाद पटवारी के हस्ताक्षरित सूची अपलोड की जाएगी। सरकार के इस आदेश के बाद प्रदेश के 16 लाख से अधिक किसानों में खलबली मच गई थी, क्योंकि उनसे पंजीयन के लिए नए सिरे से दस्तावेज मांग जा रहे थे। किसानों के लिए यह बात भी परेशान करने वाली थी, उन्हें जमीन का रिकार्ड पटवारी के पास जाकर लेना था। यह खबर प्रकाशित होने के बाद सरकार के खाद्य विभाग ने 30 सितंबर को आदेश जारी कर व्यवस्था में बदलाव किया है। इससे प्रदेश के उन 16 लाख से अधिक किसानों को राहत मिली है, जो पिछले साल धान बेचने के लिए पंजीयन करा चुके हैं।

अब जारी हुआ ये आदेश

खाद्य विभाग के सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह ने 30 सितंबर को जारी आदेश में कहा है कि गत वर्ष 2018-19 में पंजीकृत किसान की दर्ज भूमि एवं धान के रकबे की जानकारी की सूची समिति साफ्टवेयर से प्रिंट कर समिति द्वारा संबंधित क्षेत्र के पटवारी को उपलब्ध कराई जाएगी। यह कार्य 5 अक्टूबर तक किया जाना है। पटवारी द्वारा राजस्व रिकार्ड के आधार पर सूची अद्यतन (अपडेट) कर समिति को वापस उपलब्ध कराया जाएगा। यह काम 15 अक्टूबर तक किया जाएगा। समिति द्वारा सत्यापित अद्यतन सूची की डाटा एंट्री कराकर अंतिम सूची निर्देशानुसार हस्ताक्षरित कर समिति में चस्पा की जाएगी यह काम 21 अक्टूबर तक करने के निर्देश हैं। रैंडम आधार पर किसान पंजीयन की अंतिम सूची की राजस्व अ अधिकारी से सत्यता की जांच 31 अक्टूबर तक कराई जानी है। खाद्य विभाग के सचिव ने यह आदेश प्रदेश के सभी कमिश्नरों, कलेक्टरों, पंजीयक सहकारी संस्थाएं तथा प्रबंध संचालक अपेक्स बैंक को भेजा है।

पिछले साल तक थी ये व्यवस्था

राज्य में पिछले साल कर ये व्यवस्था थी कि किसान सोसाईटी में अपनी ऋण पुस्तिका ले जाता था, उसमें ही कृषि भूमि व पड़त भूमि का रकबा अलग-अलग लिखा होता है, लेकिन नए निर्देश के मुताबिक बोए गए कुल रकबे का अलग-अलग खसरा नंबर मांगा जा रहा था। इसे भी पटवारी से सत्यापित कराना आवश्यक था, साथ ही सत्यापित सूची के अनुसार रकबे का संशोधन कर मिलान के बाद पटवारी की हस्ताक्षरित सूची को अपलोड करने कहा गया था। किसानों का कहना है कि यह प्रक्रिया उनके लिए परेशानी का कारण बन रही थी।

किसान बचे परेशानी से

किसान संघर्ष समिति के संयोजक भूपेंद्र शर्मा ने कहा है कि सरकार के नए आदेश से किसान परेशानी से बच गए हैं। उनका कहना है कि धान खरीदी की लिए जब नीति जारी की गई थी, तभी साफ था कि पिछले साल पंजीयन कराने वालों का डाटा कैरी फार्रवर्ड किया जाएगा, लेकिन इस नियम के विपरीत नया आदेश जारी कर दिया गया था।