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छत्तीसगढ़ : बिलासपुर सरकारी कर्मचारी को 90 दिन से ज्यादा निलंबित नहीं रख सकते : हाई कोर्ट




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हाई कोर्ट ने माना है कि किसी भी शासकीय कर्मचारियों को 90 दिन से अधिक निलंबित नहीं रखा जा सकता है। इसे देखते हुए कोटवार के निलंबन पर शासन को छत्तीसगढ़ सिविल सेवा नियम के तहत कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। जांजगीर-चांपा जिले की हसौद तहसील के ग्राम जर्वे के कोटवार जागेश्वर के खिलाफ ग्राम पंचायत ने शिकायत की थी। इसमें कहा गया कि उसने 14 एकड़ कोटवारी भूमि को गिरवी रखा है। इसके अलावा ग्रामीणों का काम नहीं करता है। तहसीलदार ने शिकायत पर कोटवार जागेश्वर 2011 में निलंबित कर दिया। सिर्फ निलंबित किए जाने पर तहसीलदार के आदेश के खिलाफ एसडीओ राजस्व से शिकायत की गई।

एसडीओ राजस्व ने तहसीलदार के आदेश को बदलकर निलंबन की जगह बर्खास्त किया। इसके खिलाफ कमिश्नर के समक्ष अपील की गई। कमिश्नर ने तहसीलदार के आदेश को यथावत रखा। राजस्व मंडल ने सुनवाई उपरांत बर्खास्ती को निलंबन करते हुए कोटवार के खिलाफ जांच करने के निर्देश दिए।

इसके खिलाफ शिकायतकर्ता छतराम ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। याचिका में जस्टिस गौतम भादुड़ी के कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने पाया कि कोटवार जागेश्वर को निलंबित करने के बाद उसे कोई आरोप पत्र नहीं दिया गया और न ही काम करने दिया जा रहा है।

छत्तीसगढ़ सिविल सेवा नियम 1966 के अनुसार शासकीय कर्मचारी को 90 दिन से अधिक निलंबित नहीं रखा जा सकता है। इस कारण कोटवार को बहाली व पिछला सभी लाभ प्राप्त करने का हकदार माना है। इसके साथ कोर्ट ने कहा कि शासन चाहे तो कोटवार के खिलाफ आगे कार्रवाई कर सकती है। निर्देश के साथ कोर्ट ने याचिका को निराकृत किया है।

रावण दहन उत्सव पर लगी रोक हाई कोर्ट ने हटाई

हाई कोर्ट ने खुर्सीपार में जयशंकर समिति के रावण दहन उत्सव में भिलाई महापौर द्वारा लगाई रोक को निरस्त कर दिया है। साथ ही धार्मिक आयोजन का राजनीतिकरण नहीं करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने शासन को समिति के रावण दहन उत्सव कार्यक्रम में पूरा सहयोग करने का आदेश दिया है।

भिलाई के खुर्सीपार में पिछले कई वर्षों से जयशंकर समिति द्वारा रावण दहन उत्सव किया जा रहा है। भिलाई के महापौर व वर्तमान विधायक देवेंद्र यादव ने इस वर्ष समिति के रावण दहन उत्सव पर रोक लगा दी। इसके खिलाफ समिति ने अधिवक्ता देवर्षी ठाकुर के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की।

इसमें कहा गया कि समिति पिछले कई वर्षों से यहां शांतिपूर्ण तरीके रावण दहन उत्सव आयोजन कर रही है। अभी तक आयोजन में कोई दुर्घटना नहीं हुई है। महापौर राजनीतिकरण कर अपने चहेतों के माध्यम से कार्यक्रम कराना चाहते हैं। जस्टिस गौतम भादुड़ी के कोर्ट में शुक्रवार को याचिका पर सुनवाई हुई।

कोर्ट ने महापौर द्वारा लगाई गई रोक को हटाते हुए कहा कि धार्मिक आयोजन का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए। इसके साथ शासन को समिति के रावण दहन उत्सव में पूरा सहयोग करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ कोर्ट ने याचिका को निराकृत किया है।