रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड जल्द ही प्लास्टिक से सड़क बनाने का प्रोजेक्ट शुरू करने जा रही है। इसके लिए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और राज्यों के साथ कंपनी करार करेगी। करार हो जाने के बाद यह प्रोजेक्ट लॉन्च किया जाएगा, जिसके द्वारा कई हजार किलोमीटर सड़क प्लास्टिक से बनाई जाएगी।प्लास्टिक की सड़के बनने से इनकी उम्र काफी बढ़ जाएगी। वहीं ऐसी सड़कों का रखरखाव करने का खर्चा भी कम होगा। रिलायंस कैरी बैग्स और स्नैक्स के रैपर के तौर पर इस्तेमाल होने वाली हल्की प्लास्टिक को छोटे टुकड़ों में काटकर और बिटुमिन के साथ मिलाकर सड़कें बनाना चाहती है, जो लंबे समय तक टिकें। कंपनी पायलट के तौर पर इसे कई परियोजनाओं में इस्तेमाल कर चुकी है और उसने रायगढ़ जिले स्थित नागोथाने में बिटुमेन के साथ 50 टन प्लास्टिक कचरे का मिश्रण करके लगभग 40 किमी सड़क का निर्माण किया है। कंपनी के सीओओ (पेट्रो रसायन कारोबार) विपुल शाह ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘इस व्यवस्था को विकसित करने में 14 से 18 महीने लगे, जिसमें स्नैक्स की पैकेजिंग और फिल्मसी पॉलिथीलीन बैग आदि प्लास्टिक कचरे को सड़क निर्माण में इस्तेमाल किया जा सकता है। हम इससे जुड़े अनुभव साझा करने और प्लास्टिक के सड़क निर्माण में इस्तेमाल में मदद करने के लिए एनएचएआई से बातचीत कर रहे हैं।’
उन्होंने कहा कि एनएचएआई के अलावा आरआईएल इस तकनीक की पेशकश के लिए राज्य सरकारों और देश भर के स्थानीय निकायों से भी बातचीत कर रही है। प्लास्टिक कचरे के इस्तेमाल से जुड़े फायदे बताते हुए शाह ने कहा, ‘इससे न सिर्फ प्लास्टिक का टिकाऊ इस्तेमाल सुनिश्चित होता है, बल्कि यह वित्तीय तौर पर व्यवहार्य भी है। हमारा तजुर्बा कहता है कि एक किमी सड़क में एक टन प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल होता है और इससे लगभग एक लाख रुपये की बचत हो सकती है, क्योंकि इसे बिटुमेन के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। इस प्रकार हमने लगभग 40 लाख रुपये की बचत की। इसके अलावा इस प्लास्टिक से सड़कों की गुणवत्ता में भी सुधार होता है।’
शाह ने यह भी कहा कि इस प्लास्टिक के कचरे के इस्तेमाल से बनी सड़कों को दो महीने में पूरा कर लिया गया और पिछले साल हुई मूसलाधार बारिश से इस सड़क को कोई नुकसान भी नहीं हुआ। उन्होंने कहा, ‘एनएचएआई द्वारा वित्त वर्ष 2021 में औसतन चार लेन वाली 10 हजार किलोमीटर सड़कें बनाए जाने का अनुमान है, जो लगभग 40 हजार किलोमीटर के बराबर होगी। इसमें 40 हजार टन प्लास्टिक कचरा इस्तेमाल हो सकता है। इसके अलावा राज्य सरकारें और स्थानीय निकायों द्वारा 23 हजार किमी लंबी चार लेन की सड़कें बनाए जाने का अनुमान है।’
आरआईएल के कारोबार विकास प्रमुख (टिकाऊ समाधान) केआरएस नारायण ने कहा, ’86 हजार टन प्लास्टिक कचरे के इस्तेमाल के लिए यह अच्छा है। हम इसकी पूरी प्रक्रिया की पेशकश कर सकते हैं।’ हालांकि उन्होंने कहा कि इसमें प्लास्टिक कचरे का संग्रह और उसे अलग-अलग करना सबसे बड़ी चुनौती है।
शाह ने कहा, ‘हमने अभी तक इसके व्यावसायिक मॉडल के बारे में फैसला नहीं लिया है। आगे हम ऐसे उत्पादों के विकास पर विचार कर सकते हैं, जिन्हें सीधे तौर पर सड़क निर्माण में इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन इससे जुड़े बाजार पर गौर करने के बाद ही ऐसा किया जाएगा।’
यह प्रोजेक्ट पर्यावरण और देश की सड़कों के लिए गेमचेंजिंग प्रोजेक्ट साबित हो सकता है। कॉरपोरेट्स और इंडस्ट्रीज देश में प्रदूषण बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हैं। ऐसे में कंपनियों से उम्मीद की जाती है कि वे प्रदूषण से निपटने के लिए कदम उठाएंगे।