कांग्रेस (Congress) ने उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) विधान परिषद के स्नातक एवं शिक्षक निर्वाचन क्षेत्रों के चुनाव के लिए शुक्रवार को छह उम्मीदवार घोषित किए. पार्टी की ओर से जारी उम्मीदवारों की सूची के अनुसार आगरा स्नातक के लिए राजेश द्विवेदी, मेरठ स्नातक के लिए जितेंद कुमार गौड़, इलाहाबाद स्नातक के लिए अजय कुमार सिंह और लखनऊ स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के लिए बृजेश कुमार सिंह को प्रत्याशी बनाया गया है. इसके साथ ही गोरखपुर-फैजाबाद शिक्षक क्षेत्र के लिए नागेंद्र दत्त त्रिपाठी और बरेली-मुरादाबाद शिक्षक क्षेत्र के लिए मेंहदी हसन को टिकट दिए गए हैं.
बीजेपी भी कर रही है जोरदारी तैयारी
वैसे इस दफा भाजपा पहली बार युद्धस्तर पर तैयारी के साथ विधानपरिषद की स्नातक व शिक्षक की 11 सीटों के लिए होने वाले चुनाव में उतरने वाली है. इनमें स्नातक क्षेत्र की पांच और शिक्षक क्षेत्र की छह सीट शामिल हैं. बूथ, मंडल और जिलों में बने नए संगठन के लिए विधानपरिषद का चुनाव पहली परीक्षा होगा. प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह के लिए चुनाव में बेहतर नतीजे देने की चुनौती होगी. प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल के निर्देशन में चुनावी तैयारी चार माह से जारी है. प्रथम चरण में वोट बनवाने और वोटरलिस्ट दुरस्त कराने का काम अंजाम दिया गया. चुनावी तैयारियों को लेकर अन्य राजनीतिक दलों से तुलना करें तो भाजपा काफी आगे है.
कैसे होता है विधान परिषद का चुनाव
उत्तर प्रदेश में विधान परिषद की 100 सीटें है. विधान परिषद के एक तिहाई सदस्य राज्य विधानसभा के सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं. अन्य एक तिहाई स्थानीय निकायों के सदस्यों यानी नगर पालिका और जिला बोर्ड के सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं. 1/12 सदस्यों का चुनाव राज्य के शिक्षक करते हैं और शेष 1/12 सदस्यों का चुनाव स्नातक पास पंजीकृत मतदाता करते हैं. विधान परिषद के सदस्यों का कार्यकाल राज्यसभा सदस्यों की तरह छह साल का होता है. प्रत्येक दो साल पर एक तिहाई सदस्यों का चुनाव होता है. राज्यसभा सदस्यों के उलट विधान परिषद सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में वोट नहीं डाल सकते हैं.