पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने देश के सामने मौजूद तीन चुनौतियां गिनाते हुए कहा है कि इससे भारत के आंतरिक सामाजिक ढांचे को नुकसान पहुंचेगा. साथ ही विश्व में आर्थिक और लोकतांत्रिक शक्ति के रूप में देश की वैश्विक पोजिशन को भी खतरा उत्पन्न होगा. डॉ. मनमोहन सिंह ने पीएम मोदी से अपील करते हुए कहा है कि केवल बातों की नहीं, काम करने की जरूरत है.
डॉक्टर सिंह ने द हिंदू में लिखे अपने कॉलम में कहा है कि आज देश कोरोना वायरस, आर्थिक सुस्ती, विरोध और हिंसा की चुनौती का सामना कर रहा है. प्रधानमंत्री को अपने कार्यों से यह भरोसा दिलाना चाहिए कि देश इन चुनौतियों से पार पाने में सक्षम है. उन्होंने चीन, इटली और अमेरिका की ओर से उठाए गए कदमों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत को भी कोरोना के खतरे का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए. पूर्व प्रधानमंत्री ने न सिर्फ पीएम मोदी से अपील की, बल्कि अपने कॉलम में सरकार को इन चुनौतियों से पार पाने के रास्ते भी बताए.
पूर्व पीएम ने इन चुनौतियों से निपटने के लिए कोरोना की रोकथाम के लिए हर प्रयास पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी और कहा कि विरोध प्रदर्शन-हिंसा को रोकने के लिए नागरिकता कानून में संशोधन करें या इसे वापस लें. आर्थिक सुस्ती से निपटने के लिए उन्होंने उपभोग को बढ़ावा देने, इसके लिए सतर्कतापूर्वक राजकोषीय प्रोत्साहन योजना पर ध्यान देने की भी सलाह दी है. डॉक्टर सिंह ने न्याय प्रणाली और मीडिया पर भी सवाल उठाए और कहा कि मौजूदा घटनाओं को सही ठहराने के लिए हिंसा की पिछली घटनाओं का उदाहरण देना सही नहीं है. उन्होंने कहा है कि कुछ ही साल में देश वैश्विक स्तर पर तेजी से फिसला है.
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा है कि सामाजिक अशांति आर्थिक सुस्ती को ही बढ़ावा देगी. निवेशक, उद्योगपति नई परियोजनाएं शुरू करने के लिए तैयार नहीं हैं. निवेशक जोखिम उठाने से बच रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब हिंसा भड़कने का खतरा हो, तब कर की दर कम करने से किसी को निवेश करने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जा सकता. उन्होंने हालांकि अंत में यह भी लिखा कि गहरे संकट का क्षण भी महान अवसर का क्षण हो सकता है. कोरोनो वायरस का संकट अर्थव्यवस्था को फिर से मजबूत करने के लिए नए अवसर दे सकता है.