रायपुर
छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सलियों से हुई मुठभेड़ के बाद लापता सुरक्षा बल के जवान नक्सलियों के कब्जे में है। नक्सलियों ने माडियाकर्मियों को फोन कर यह दावा किया है। उन्होंने फोन पर कहा है कि वो जवान को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। हालांकि, उनकी रिहाई के लिए शर्त रखी है।
जम्मू-कश्मीर के हैं लापता जवान राजेश्वर
लापता जवान का नाम राजेश्वर सिंह मनहास है। वो जम्मू-कश्मीर के निवासी हैं और कोबरा बटालियन का हिस्सा हैं। नक्सलियों ने पत्रकारों को फोन करके शर्त रखी कि वो राजेश्वर सिंह को छोड़ने को तैयार है, लेकिन उन्हें वादा करना होगा कि वो सुरक्षा बल में कार्यरत नहीं रहेंगे और यह नौकरी छोड़कर कोई दूसरा काम करेंगे।
परिवार का बुरा हाल
इधर, राजेश्वर सिंह के परिवार वालों का बुरा हाल है। उन्हें कंट्रोल रूम से बताया गया है कि राजेश्वर लापता हैं जबकि न्यूज चैनलों पर उनके नक्सलियों के कब्जे में होने की बात कही जा रही है। जम्मू में उनके घर में लोग पहुंच रहे हैं। राजेश्वर की मां, पत्नी और छोटी सी बेटी रो-रो कर बेहाल हैं।
पत्नी ने सरकार से की मांग
राजेश्वर की पत्नी ने छत्तीसगढ़ सरकार से मांग की है कि नक्सलियों की जो भी मांगें हैं, उन्हें पूरा किया जाए और मेरे पति को रिहा किया जाए। मेरे पति करीब चार साल से कोबरा कमांडो में ड्यूटी दे रहे हैं। सरकार को अपना जवान किसी भी कीमत पर वापस लाना होगा। वह मेरे पति नहीं हैं, वह देश के जवान भी हैं। पत्नी ने यह भी कहा है कि उनके ससुर भी सीआरपीएफ में रहते हुए जान गंवा चुके हैं।
मां ने पीएम मोदी से की अपील
राजेश्वर की मां का कहना है कि शुक्रवार को साढ़े नौ बजे बेटे से बात हुई थी। उस समय उन्होंने कहा था कि मैं ऑपरेशन पर जा रहा हूं, शनिवार को बात करूंगा। हम लागतार फोन लगा रहे हैं, लेकिन कोई सूचना नहीं है। मां ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील है कि मेरा बेटा जल्द वापस आ जाए। वही मेरा सहारा है। राजेश्वर के परिजनों ने बताया कि उनके साले की शादी होने वाली है। उनकी पत्नी इसकी तैयारियों में लगी थीं। तीन दिन पहले पता चला कि वह ऑपरेशन में गए हैं।
बीजापुर कांड में 21 जवान लापता
सुकमा में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ के दौरान 21 जवान लापता हो गए थे। इनमें से 20 के शव रविवार को एयरफोर्स की मदद से ढूंढे गए, जबकि एक जवान राजेश्वर सिंह की तलाश अब भी जारी है। यह कहना मुश्किल है कि नक्सलियों का दावा कितना सही है। अगर यह सच है तो संभावना है कि मुठभेड़ के बाद घायल जवान को भी अपने साथ लेकर गए होंगे। गौरतलब है कि नक्सली अपने घायल और मृत साथियों को ट्रैक्टरों में भर कर ले गए थे।