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Hindu Dharma: जब श्री गणेश जी ने तोड़ा धन के देवता कुबेर का घमंड…




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कुबेर को घमंड हुआ और उसने सभी देवो को भोज पर आमंत्रित किया. शिव जी उसके घमंड को भाप गए और गणेश जी को भोज में भेजा, गणेश जी ने उसका घमंड तोड़ा और उसके शरणागत होने पर उसे सद्बुद्धि प्रदान की.

हाइलाइट्स

कुबेर को घमंड हुआ और उसने सभी देवो को भोज पर आमंत्रित किया
शिव जी उसके घमंड को भाप गए और गणेश जी को भोज में भेजा
गणेश जी ने उसका घमंड तोड़ा और उसे सद्बुद्धि दी

Lord Ganesh Katha:  हम सभी ने अपनी रोजमर्रा की जिन्दगी में देखा ही है की लोगों को धन का घमंड होता ही है, कोई बिरला ही होता है जो धनवान होने के साथ साथ घमंडी नहीं होता, पर आपको क्या लगता है केवल मनुष्य ही घमंडी होते हैं…? ऐसा कतई नहीं है, कई बार स्वय देवता लोग भी अभिमान के शिकार हुए है जैसे की कुबेर जी, तो आइये जानते है आज की कैसे तोड़ा श्री गणेश ने धन के देवता कुबेर का घमंड.

कुबेर को हुआ अभिमान
शिव महापुराण के अनुसार, एक बार धन के देवता कुबेर को अपने धन, एश्वर्य, संपत्ति पर अभिमान हो गया था, जिसके बाद उन्होंने अपने धन सम्पदा और वैभव का दिखावा करने के हेतु से सभी देवताओं को अपने घर भोजन पर आमंत्रित करने का सोचा. कुबेर सबसे पहले बैकुण्ठ गए हुए लक्ष्मी जी सहित भगवान विष्णु को निमंत्रण दिया, फिर वह ब्रह्मलोक पहुंचे और ब्राह्मणी समेत ब्राह्म जी को आमंत्रित किया. इसके बाद कुबेर पहुंचे कैलाश पर्वत पर भगवान शिव को सपरिवार निमंत्रण देने के लिए, परंतु भगवान शिव कुबेर के अभिमान को जान गए और बोले, “हे देवता श्रेष्ठ! हमारे स्थान पर हमारे पुत्र गणेश आपके घर भोज पर आएगे.” स्वयं त्रिपुरारी के मुख से यह शब्द सुनकर कुबेर का अभिमान और बढ़ गया.

कुबेर ने दिखाया अपना वैभव
भोज वाले दिन सभी देवता सज-धज कर कुबेर के यहा पधारे. कुबेर ने अनगिनत प्रकार के पकवान बनवाए, भोजन स्वर्ण, माणिक्य, मोती आदि वेशकीमती रत्नो से निर्मित बर्तन में परोसा गया, सभी देवताओं ने भरपेट भोजन किया और कुबेर के गुण-गान गाते हुए वहां से प्रस्थान कर गए. 

गणेश जी ने किया कुबेर के अभिमान का अंत
लेकिन श्री गणेश जी महराज जो खाते ही गए खाते ही गए खाते ही गए. कुबेर के भोजन भंडार खाली होने लगे. कुबेर ने अपने सेवको से बोला की जो भी कुछ शेष है एक ही साथ परोस दो परंतु गजानन गणेश वह सब भी खा गए. और तो और भोजन समाप्त होने पर गणेश जी कुबेर के महल के सामान को ही खाने लगे तब भी उनका पेट नहीं भरा, यह देख कुबेर को अपने अभिमान का एहसाह हुआ और वह गणेश जी महाराज के चरणों में पड़ गया. शरणागत होते देख गणेश जी ने कुबेर को माफ कर उसे सद्बुद्धि प्रदान की…