रायपुर – वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम के तहत वन्य प्राणी को मारना, उसे विष देना, या ऐसा करने का प्रयत्न करना, शिकार करना, फंदे में पकड़ना, जाल में फांसना, हांका लगाना, चारा डालकर फंसाना या ऐसे करने का प्रयत्न करना या वन्य प्राणी के शरीर के किसी भाग को क्षतिग्रस्त करना या नष्ट करना या पक्षियों या सरीसर्प की दशा में ऐसे पक्षियों या सरीसर्प के अंडों को नुकसान पहुंचाना या ऐसे पक्षियों और सरीसर्प के अंडो या घोसलों को गड़बड़ाना धारा 9 के तहत अपराध होता है।
इसके अलावा कुछ विनिर्दिष्ट प्लांट को तोड़ने, उखाड़ने इत्यादि धारा 17ए के तहत अपराध होता है। वन्य प्राणियों, प्राणी वस्तुओं तथा ट्रॉफियों का व्यापार धारा 39 के तहत अपराध होता है। अगर इन तीन धाराओं के तहत अपराध हुआ है और धारा 51 के तहत सजा की कार्यवाही की गई है तो ये अपराध प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत भी शेड्यूल्ड अपराध होंगे, जिन पर प्रवर्तन निर्देशालय सूचित किये जाने पर कार्यवाही कर सकता है।
छत्तीसगढ़ में हो रहा है शिकार इसलिए की मांग
रायपुर के नितिन सिंघवी ने बताया कि छत्तीसगढ़ में वन्य प्राणियों का शिकार रुक नहीं रहा है। बाघ को भी करंट देकर मार दिया जाता है। दुनिया में सबसे ज्यादा तस्करी किए जाने वाले पैंगोलिन का हॉटस्पॉट छत्तीसगढ़ बना हुआ है। प्रतिवर्ष दसियों खाल तेंदुए की पकड़ी जाती है। हाथियों को करंट से मार दिया जाता है। हाथी दांत का व्यापार करते अपराधी पकडे गए है। बिजली लाइन से हुकिंग कर वन्य प्राणियों का शिकार किया जाता है। हिरनों का मॉस बिकने के भी समाचार सुनने को मिलते हैं। छत्तीसगढ़ में अनुसूची एक के ही नहीं सभी वन्य प्राणी संकट में आ गए हैं। ऐसे में सिंघवी ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक व वन बल प्रमुख और प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) को पत्र लिखकर मांग की है कि भविष्य में ईडी के संज्ञान में दिए जाने वाले वन्य प्राणियों से सम्बंधित अपराध अगर होते हैं तो उसकी जानकारी ईडी को दी जावे। साथ ही पुराने सभी मामलों की जानकारी भी दी जावे। सिंघवी ने बताया कि उन्हें पूर्ण विश्वास है की ईडी द्वारा वन्य प्राणियों के शिकार और वन्य प्राणियों के अन्य अपराधों की मामले में कार्यवाही किये जाने से छत्तीसगढ़ ही नहीं पूरे देश में वन्यजीवों के शिकार पर अंकुश लगेगा।
अधिकारी भी आ सकते है दायरे में
सिंघवी ने बताया कि उन्होंने पत्र में यह भी लिखा है कि छत्तीसगढ़ वन विभाग के अधिकारी भी वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम के तहत अपराध करते हैं। जैसे कि बिना किसी आदेश के तेंदुए और अनुसूची एक के वन्य प्राणियों को पकड़ लेना इत्यादि। इस लिए अधिकारियों को भी प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लांड्रिंग एक्ट के प्रावधानों से अवगत करा दिया जावे क्यों कि उनके विरुद्ध भी कार्यवाही की सकेगी।