जांजगीर– चांपा विषय शिक्षिका की गंभीर लापरवाही का दुष्परिणाम एक प्रतिभाशाली छात्रा को भुगतना पड़ रहा है। शिक्षिका ने प्रेक्टिकल परीक्षा में शामिल होने के बाद भी छात्रा को अनुपस्थित बता दिया। परिणाम स्वरूप छात्रा को परीक्षा में पूरक घोषित कर दिया गया। एक निर्दोष,प्रतिभाशाली मेधावी छात्रा के लिए यह परिणाम किसी सदमे से कम नहीं है। पालकों ने लापरवाही बरतने वाली विषय शिक्षिका के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
बोर्ड परीक्षा में शिक्षकों की लापरवाही का खामियाजा एक निर्दोष छात्रा को भुगतना पड़ रहा है। सभी लिखित और प्रैक्टिकल परीक्षा में शामिल होने के बाद भी छात्रा को प्रैक्टिकल में अनुपस्थित बता दिया गया। जिसके चलते छात्रा पूरक आ गई। अब छात्रा जगह– जगह भटकती न्याय के लिए गुहार लगा रही है।
पूरा मामला जांजगीर जिले के अकलतरा विकासखंड के ग्राम सोनसरी स्थित शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय का है। यहां पढ़ने वाली छात्रा नितिशा राठौर ने इस वर्ष दसवीं बोर्ड की परीक्षा दी है। छात्रा का रोल नंबर 1243206508 है। प्रैक्टिकल की परीक्षा स्कूल में ही ली गई थी। जनवरी माह में हुई परीक्षा में छात्रा ने बकायदा परीक्षा दिलाई थी। सामाजिक विज्ञान की भी प्रेक्टिकल परीक्षा छात्रा ने दिलाई थी। 9 मई को जब नतीजे घोषित हुए तो छात्रा नितिशा राठौर को पूरक घोषित कर दिया गया। रिजल्ट देखकर छात्रा के होश उड़ गए। छात्रा ने स्कूल के प्राचार्य जीएस सिंह और विषय शिक्षिका चमेली पटेल से संपर्क किया। छात्रा ने बताया कि वह परीक्षा में उपस्थित हुई थी और प्रैक्टिकल परीक्षा में उसका रोल नंबर 24 था। तब शिक्षिका ने भी परीक्षा दिलाने के लिए हामी भरते हुए परीक्षा में उपस्थिति और प्रैक्टिकल नंबर देने की बात भी स्वीकार की। कुछ तकनीकी त्रुटि बता कर जल्द ही सुधार का आश्वासन दिया गया।
पर कुछ दिनों तक सुधार नहीं होने पर छात्रा एक बार फिर स्कूल पहुंची तो प्राचार्य जीएस सिंह ने उसे पूरक परीक्षा दिलाने की सलाह दे डाली। विषय शिक्षिका चमेली पाटले ने भी सीधा कह दिया कि तुम परीक्षा में अनुपस्थित थी इसी कारण परीक्षा में सप्लीमेंट्री आई हो अब पूरक परीक्षा दिलाकर पास हो जाओ।
प्रथम श्रेणी में पास होने वाली छात्रा विषय शिक्षक की गंभीर लापरवाही से हो रही प्रताड़ित
छात्रा नितिशा राठौर मेधावी छात्र है। 10वीं बोर्ड की परीक्षा में उसे 72.6% अंक मिले हैं। पर सामाजिक विज्ञान के प्रोजेक्ट वाइवा प्रैक्टिकल परीक्षा में उसे अनुपस्थित बताकर पूरक घोषित कर दिया गया। स्कूल प्रबंधन ने अपनी गलती मानने की बजाय छात्रा को सीधा पूरक परीक्षा दिलाने की सलाह दे डाली। जिससे छात्रा ठगा हुआ महसूस कर रही है। मिली जानकारी के अनुसार प्रैक्टिकल परीक्षा लेने के बाद स्टूडेंट्स की उपस्थिति–अनुपस्थित व नंबर कंप्यूटर में फीड कराया जाता है। यह काम विषय प्रभारी के निर्देशन में होता है। सब कुछ दर्ज होने के बाद उसका प्रिंट आउट निकाला जाता है और चेक करने के बाद उसमें विषय प्रभारी के हस्ताक्षर किए जाते हैं। फिर इसे माध्यमिक शिक्षा मंडल को भेजा जाता है। कंप्यूटर में डाटा लोड करने के दौरान गलती होने की आशंका जताई जा रही है। पर सवाल यह उठता है कि जब प्रिंटआउट में विषय प्रभारी शिक्षिका ने हस्ताक्षर किए तो क्या उन्होंने बिना पढ़े हस्ताक्षर कर दिए थे? स्कूल प्रबंधन की लापरवाही के चलते मेधावी छात्रा का भविष्य अंधकार मय हो चला है।
शिकायत पर जांच का आश्वासन:–
शिक्षिका ने रिजल्ट सुधरवाने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी से संपर्क किया और रिजल्ट सुधरवाने के लिए आवेदन दिया। न्याय मिलने में देरी होता देख उसने जिला कलेक्टर आकाश छिकारा से भी मिलकर पूरा वाक्या कह सुनाया और न्याय की गुहार लगाई। कलेक्टर के निर्देश के बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने मामले की जांच शुरू करवाई और सारे स्कूल प्रबंधन को अपने कार्यालय सारे दस्तावेजों के साथ अपने कार्यालय बुलाया है। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार विषय शिक्षिका व परीक्षा प्रभारी को जिला शिक्षा अधिकारी ने जांच के लिए बुलवाया है। स्कूल के प्राचार्य को भी सारे डॉक्यूमेंट के साथ उपस्थित होने के लिए कहा गया है। छात्रा की उपस्थिति सुनिश्चित होने पर माध्यमिक शिक्षा मंडल को पत्र लिखकर रिजल्ट में सुधार करवाने की बात कही गई है।