रायपुर – गत दिवस सांध्यकालीन सत्र में शहर के प्रतिष्ठित संस्थान छत्तीसगढ़ जन सेवा फाउंडेशन द्वारा हूनरबाज द मल्टी टैलेंट परफॉर्मेंस कार्यक्रम का आयोजन वृंदावन भवन रायपुर में आयोजित किया गया। जिसमें अनीश बनर्जी (पांच वर्षीय) पिता पार्थ बनर्जी और माता चिन्मय बनर्जी निवासी रायपुर ने भाग लेकर तबला वादन में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। इस कार्यक्रम में कई प्रतिभागियों ने हिस्सेदारी निभाई जिसमें तबला वादन विधा में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन बाल कलाकार नन्हा तबला वादक अनीश बनर्जी ने प्रदर्शित कर प्रथम स्थान प्राप्त कर माता-पिता व अपने गुरु का नाम रोशन किया। इसमें प्रथम , द्वितीय और तृतीय स्थान हासिल करने वाले प्रतिभागियों को सर्टिफिकेट और ट्राफी देकर सम्मानित किया गया। बताते चलें वर्तमान में अनीश बनर्जी अपने गुरु अरुणिमा शर्मा के सानिध्य में रहकर तबला की बारीकियां सीख रहे हैं। इंदिरा कला एवं संगीत विश्व विद्यालय खैरागढ़ से तबला में प्रशिक्षित अरुणिमा शर्मा ने अपने शिष्य अनीश को मात्र दो महीने में ही इस विधा में प्रशिक्षण देकर उन्हें इस मुकाम पर स्थापित कर दी। अपने शिष्य की इस उपलब्धि से माता-पिता व गुरु बहुत ही प्रसन्न हैं और अपनी शुभकामनायें प्रेषित किये हैं। उन्होंने भविष्य में अनीश के और उत्कृष्ट प्रदर्शन करने की आशा व्यक्त की है।
शास्त्रीय संगीत हमें जड़ों से जोड़ती है – अरूणिमा शर्मा
कार्यक्रम समाप्ति के पश्चात अपने बारे में मीडिया से चर्चा करते हुये कुमारी अरूणिमा शर्मा (चौबीस वर्षीया) ने अरविन्द तिवारी को बताया कि उनका जन्म जाज्वल्य नगरी जांजगीर में हुआ और इनकी प्रारंभिक शिक्षा एमजीएम हायर सेकेंडरी स्कूल बाल्कोनगर में हुई। अपने विद्यालयीन शिक्षा के साथ – साथ इन्होंने तेरह साल की उम्र से ही अपने गुरू अंतर्राष्ट्रीय तबला वादक मोरध्वज वैष्णव से नौ वर्षों तक तबला वादन की प्रशिक्षण लेकर चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी से तबला में डिप्लोमा हासिल की। अरूणिमा ने बारहवीं की पढ़ाई के बाद इंदिरा कला एवं संगीत विश्व विद्यालय खैरागढ़ में छह साल तक तबला प्रोफेसर हरि ओम हरि से गुरू शिष्य परंपरा में रहकर तबला वादन में गहरा प्रशिक्षण प्राप्त की है। फिर इन दिनों विगत एक वर्षों से वे ब्राइटन इंटरनेशनल स्कूल रायपुर में बतौर शिक्षिका अपनी सेवा दे रही हैं। इनके अलावा कोरबा (बाल्कोनगर) इनके परिवार में अधिवक्ता द्वय मम्मी श्रीमति रेखा शर्मा , पापा रामकिशोर शर्मा और एक छोटा भाई अभिजीत शर्मा भी है जो इस समय कानून की पढ़ाई कर रहे हैं। संगीत में रुचि के बारे में पूछे जाने पर अरूणिमा ने बताया कि संगीत इन्हें विरासत में मिली है और इन्हें प्रारंभ से ही संगीत से विशेष रुचि रहा है। इनके दादा स्वर्गीय राधाकृष्ण शर्मा जांजगीर क्षेत्र के प्रख्यात तबला वादक रहे हैं , इनके पापा भी तबला वादन करते हैं जबकि इनकी मम्मी को भी संगीत और नृत्य में विशेष रूचि है। अपने लक्ष्य के बारे में पूछे जाने पर अरूणिमा ने बताया कि वे म्यूजिक डांस एकेडमी खोलकर इस विधा को आगे बढ़ाना चाहती हैं। समाज को दिये जाने वाले संदेश के बारे में पूछने पर गुरू सुश्री अरूणिमा शर्मा ने कहा कि भारतीय शास्त्रीय संगीत या मार्ग , भारतीय संगीत का अभिन्न अंग है। जिसे आगे बढ़ाते हुये लोगों के प्रति शास्त्रीय संगीत को ही स्थापित करना है , जो हमें अपने जड़ों से जोड़ती है। आज की पीढ़ी का झुकाव पाश्चात्य संगीत की ओर ज्यादा है और शास्त्रीय संगीत अपना पहचान खोते जा रहा है , जिसे बचाये रखने का कार्य आज की पीढ़ी को करना है। हमें संस्कारवान बनाये रखने में हमारा भारतीय विधा सहायक होगा , जिसके लिये मेरे साथ ही साथ समाज के लोगों को भी सतत प्रयासरत रहने की आवश्यकता है।