नवरात्रों का व्रत खत्म होते ही कार्तिक महीने की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन सुहागन स्त्रियां पति की लंबी उम्र के लिए दिन भर निर्जला व्रत रहती हैं और दीर्घायु की कामना करती हैं। व्रत को शुरु करने से पहले सुबह-सुबह घर की बड़ी महिलाओं से सरगी लेने का रिवाज है। तो आइए जानें सरगी क्या है और व्रत में इसका क्यों बहुत ज्यादा महत्व है।
किसके हाथों लेनी चाहिए सरगी सरगी लेने का रिवाज सास के हाथों है लेकिन अगर घर में सास नहीं हैं तो फिर बड़ी ननद या जेठानी के हाथों इसे लेना चाहिए। सरगी लेने का सही समय भोर में तीन से चार बजे के बीच होता है।
क्या होता है सरगी सरगी एक भोजन की थाली है जिसमें खाने की कुछ चीजें होती हैं। जिसको खान के बाद दिनभर निर्जला उपवास रहा जाता है और फिर रात में चांद की पूजा करने के बाद ही खाया जाता है।
सेहत के लिहाज से क्या होना चाहिए सरगी में चूंकि सरगी को खा कर व्रत की शुरुआत की जाती है इसलिए सरगी की थाली में ऐसी चीजें होनी चाहिए जिससे भूख और प्यास कम लगे और दिनभर एनर्जी बनी रहे। आइए जानें सरगी में क्या होना चाहिए खाने के लिए
दूध और फेनिया सरगी का एक जरूरी हिस्सा है दूध और फेनिया। यह रीति-रिवाज के लिहाज से ही नहीं सेहत के लिहाज से भी बहुत अहम है। फेनिया गेहूं के आटे से तैयार होती है और इसे दूध में बनाया जाता है। यह प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट का अच्छा मेल है। इसे खाने से आप दिन भर एनर्जी बनी रहती है।
सरगी में फल को करें शामिल फलों में काफी मात्रा में फाइबर और पानी होता है. जो निर्जला व्रत के दौरान आपको हाइड्रेट रखने में मदद करता है. तो सरगी में फलों को खास जगह दें. ऐसे फल लें जो पचने में समय लगाएं और फाइबर से भरपूर हों।
तला-भुना न हो सरगी में सरगी की थाली में ज्यादा तला-भुना या मीठा-नमकीन न हो। नहीं तो इससे कुछ परेशानियां हो सकती हैं।