यह बात तो सभी लोग मानते हैं। कि भारत धार्मिक मान्यताओं के लिए ही जाना जाता है नहीं हिंदू धर्म में मृत्यु के देवता यमराज को ही माना जाता है। यदि ऐसा हो जाए कि यमराज खुद मृत्यु के देवता हैं तो आप यह सोच सकते हैं। कि उनकी मृत्यु होना भी संभव हो सकता है या नहीं यह बात बहुत ही ज्यादा रहस्य में है। लेकिन वेदों पुराणों में इनकी मृत्यु की एक कहानी बताई गई है इन सभी बातों को करने से पहले यमराज के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी जान लेना बहुत ही ज्यादा आवश्यक है। यमराज की एक जुड़वां बहन थी जिसे यमुना या यामी कहा जाता है। यमराज भैंसे की सवारी करते हैं तथा यमराज की भक्ति कई नामों से की जाती है, जैसे कि यम, धर्मराज, मृत्यु, आतंक, वैवस्वत, काल।
बेहद वक़्त पहले एक स्वेत मुनि थे जो महादेव के परम भक्त थे तथा गोदावरी नदी के तट पर निवास करते थे। जब उनकी मृत्यु का वक़्त आया तो यम देव ने उनके प्राण हरने के लिए मृत्युपाश को भेजा किन्तु श्वेत मुनि अभी प्राण नहीं त्यागना चाहते थे तो उन्होंने महामृत्यंज का जप करना आरम्भ कर दिया। जब मृत्युपाश, श्वेत मुनि के आश्रम पहुंचे तो देखा कि आश्रम के बाहर भैरव बाबा पहरा दे रहे हैं। धर्म तथा दायित्व में बंधे होने की वजह से जैसे ही मृत्युपाश ने मुनि के प्राण हरने का प्रयास किया तभी भैरव बाबा ने प्रहार करके मृत्युपाश को मूर्छित कर दिया। वो भूमि पर गिर पड़ा तथा उसकी मृत्यु हो गई। ये देखकर यमराज बहुत क्रोधित हो गए तथा खुद आकर भैरव बाबा को मृत्युपाश में बांध लिया। फिर स्वेत मुनि के प्राण हरने के लिए उन पर भी मृत्युपाश डाला तो श्वेत मुनि ने अपने इष्ट देव शिव शंकर को पुकारा तथा शिव जी ने तत्काल अपने पुत्र कार्तिकेय को वहां भेजा।
कार्तिकेय के वहां पहुंचने पर कार्तिकेय तथा यमदेव के बीच घमासान युद्ध हुआ। कार्तिकेय के समक्ष यमदेव अधिक टिक नहीं पाए तथा कार्तिकेय के एक प्रहार पर वो जमीन पर गिर गए तथा साथ ही साथ उनकी मृत्यु हो गई। भगवान सूर्य को जब यमराज की मृत्यु के बारे में खबर मिली तो वो विचलित हो गए। ध्यान लगाने पर ज्ञात हुआ कि उन्होंने महादेव की इच्छा के विपरीत श्वेत मुनि के प्राण हरने चाहे थे। इस की वजह से यमदेव को महादेव का कोप सहना पड़ा। यमराज सूर्य देव के पुत्र हैं तथा इस परेशानी के समाधान के लिए सूर्य देव, प्रभु श्री विष्णु के पास गए। प्रभु श्री विष्णु ने महादेव की तपस्या करके उनको खुश करने का सुझाव दिया। सूर्य देव ने महादेव की घोर तपस्या की जिससे महादेव खुश हो गए तथा उन्हें दर्शन देकर वरदान मांगने को कहा। तब सूर्य देव ने कहा कि हे महादेव! यमराज के मृत्यु के पश्चात् पृथ्वी पर भारी असंतुलन फैला है अर्थात पृथ्वी पर संतुलन बनाए रखने के लिए यमराज को पुनर्जीवित कर दें। तब महादेव ने नंदी से यमुना का जल मंगवाकर यमदेव के पार्थिव शरीर पर फेंका जिससे वो पुनः जीवित हो गए।
साभार- online33post.com